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वह अकेला




.......वह अकेला.....

किसी को गम है अकेलेपन का
कोइ भीड़ मे भी है अकेला
कोई चला था भीड़ ले साथ मे
रह गया बुढ़ापे मे भी अकेला

रहे सब साथ उसके
पर ,रहा न कोई साथ उसके
रहकर भी साथ सबके
रह गया वह अकेला

उम्र घटती रही ,सफर कटता रहा
जलाए दीप दिल मे तनहा चलता रहा
जलते जलते दीप जलते रहे
और रह गया वह जलता अकेला

 बंट गए दीप भी आंगनों में
बंट गया वह भी सावनों मे
लड़खड़ाए जब कदम उसके
थामे सांकल गिर गया वह अकेला
रह गया वह अकेला
......................
मोहन तिवारी,मुंबई




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1 Comments

Gunjan Kamal

03-Dec-2023 06:35 PM

👏👌

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